हाल के दिनों में कर्नाटक के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक बड़ा विवाद उभरा है, जिसमें कांग्रेस विधायक के.सी. वीरेंद्र की गिरफ्तारी ने सभी को चौंका दिया है। यह मामला न केवल अवैध सट्टेबाजी और ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ा है, बल्कि इसमें मिली संपत्तियों की मात्रा ने भी सुर्खियाँ बटोरी हैं। इस लेख में हम इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से नज़र डालेंगे।
कर्नाटक कांग्रेस विधायक पर कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर्नाटक कांग्रेस विधायक के.सी. वीरेंद्र के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी अवैध गतिविधियों का भंडाफोड़ किया है। 22 और 23 अगस्त को, ईडी ने देशभर में 31 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें गंगटोक, चित्रदुर्ग, बेंगलुरु, हुबली, जोधपुर, मुंबई और गोवा शामिल रहे।
इस व्यापक अभियान का उद्देश्य अवैध सट्टेबाजी और ऑनलाइन गेमिंग रैकेट का पर्दाफाश करना था, जो कथित तौर पर विधायक और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा चलाया जा रहा था।
छापेमारी में मिली संपत्तियाँ
छापों के दौरान, ईडी की टीमों को कई प्रकार की संपत्तियाँ मिलीं। अधिकारियों के अनुसार, लगभग 12 करोड़ रुपये नकद, जिसमें 1 करोड़ रुपये विदेशी करेंसी भी शामिल है, के अलावा:
- 6 करोड़ रुपये की सोने की ज्वेलरी
- 10 किलो चांदी
- चार लग्ज़री गाड़ियाँ
इसके अतिरिक्त, 17 बैंक खातों और 2 लॉकर को भी फ्रीज़ कर दिया गया है। यह संपत्तियों की मात्रा इस बात का प्रमाण है कि यह नेटवर्क कितना बड़ा और जटिल था।
अवैध सट्टेबाजी का नेटवर्क
सूत्रों के अनुसार, के.सी. वीरेंद्र और उनके परिवार के सदस्य लंबे समय से अवैध ऑनलाइन और ऑफलाइन बेटिंग नेटवर्क चला रहे थे। छापों में यह भी सामने आया कि वे “King567” और “Raja567” नाम से कई बेटिंग साइट्स का संचालन कर रहे थे।
इस नेटवर्क का प्रबंधन वीरेंद्र के भाई के.सी. थिप्पेस्वामी द्वारा किया जा रहा था, जो दुबई से तीन कंपनियों - डायमंड सॉफ्टेक, टीआरएस टेक्नोलॉजीज़ और प्राइम9 टेक्नोलॉजीज़ - के माध्यम से लेन-देन संभाल रहे थे।
परिवार के अन्य सदस्य और उनकी भूमिकाएँ
ईडी ने खुलासा किया है कि विधायक का एक अन्य भाई के.सी. नागराज और उसका बेटा पृथ्वी एन. राज भी इस पूरे नेटवर्क में सक्रिय थे। इनके घरों से:
- संपत्ति से जुड़े दस्तावेज़
- इन्वेस्टमेंट के सबूत
- काले धन को सफेद करने की कोशिश से जुड़ी जानकारियाँ
यह सब इस बात का संकेत है कि यह केवल एक व्यक्ति की गतिविधियाँ नहीं थीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क था जो लंबे समय से चल रहा था।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
ईडी ने 23 अगस्त को गंगटोक में के.सी. वीरेंद्र को गिरफ्तार किया। अधिकारियों के अनुसार, वह वहाँ एक लैंड कैसिनो लीज़ पर लेने की कोशिश कर रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन्हें गंगटोक की स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहाँ से ईडी को उन्हें बेंगलुरु कोर्ट में पेश करने के लिए ट्रांज़िट रिमांड मिल गया।
यह गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण कदम है जो इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान करने में मदद कर सकती है।
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यह मामला केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है; यह पूरे देश में सट्टेबाजी और अवैध गतिविधियों के खिलाफ एक सख्त संदेश भेजता है। इसमें शामिल व्यक्तियों की पहचान और उनके नेटवर्क की गहराई को समझना जरूरी है।
इस संदर्भ में कई वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें इस मामले की विस्तृत जानकारी दी गई है। इनमें से एक वीडियो जो इस मामले को और अधिक स्पष्ट करता है, वह है:
यह वीडियो दर्शाता है कि कैसे इस प्रकार के रैकेट सामाजिक और आर्थिक रूप से देश के लिए खतरा बन सकते हैं।
निष्कर्ष और आगे की कार्रवाई
कर्नाटक में हुए इस छापे ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ अवैध गतिविधियों के खिलाफ कितनी गंभीर हैं। यह कार्रवाई न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आने वाले समय में अन्य नेताओं और उनके कारोबारों पर भी निगरानी रखने का संकेत देती है।
ईडी की यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि समाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।


