हाल ही में तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की सहयोगी पार्टी विदुथलै चिरुथैगल काची (VCK) के नेता वन्नियारासु ने एक विवादित बयान दिया है, जिसमें उन्होंने हिंदू महाकाव्यों रामायण और महाभारत को ऑनर किलिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया। इस बयान ने समाज में एक नई बहस को जन्म दिया है, जो जाति आधारित हिंसा और सांस्कृतिक निरूपण के मुद्दों को उजागर करता है।
रामायण और महाभारत की भूमिका
वन्नियारासु ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह इन प्राचीन ग्रंथों की कहानियों को जाति आधारित हिंसा को वैधता प्रदान करने के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि इन महाकाव्यों में वर्णित घटनाएं इस तरह की हिंसा को एक प्रकार की धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था के तहत उचित ठहराती हैं।
उन्होंने विशेष रूप से रामायण का उल्लेख किया, जहां एक ब्राह्मण अपने मृत बच्चे को राम के पास ले जाता है और शासन की नाकामी का आरोप लगाता है। यह प्रसंग न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी चुनौती देता है।
रामायण का प्रसंग और उसकी व्याख्या
वन्नियारासु ने एक ऐसे प्रसंग का जिक्र किया जिसमें राम जंगल में एक आदिवासी व्यक्ति संपुहन को उल्टा लटककर तपस्या करते देखते हैं। राम उससे पूछते हैं कि नीची जाति का होने के बावजूद वह तप कैसे कर सकता है। फिर राम अपनी तलवार से उसका सिर काट देते हैं और संपुहन का खून ब्राह्मण के मृत बच्चे के शरीर पर छिड़कने से वह जीवित हो जाता है।
यह कहानी न केवल हिंसा का चित्रण करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे जाति और वर्ग के भेदभाव को धार्मिक कथाओं में स्थान मिला है। वन्नियारासु का यह तर्क है कि ऐसी कहानियां अंतरजातीय विवाहों में हिंसा को जायज ठहराती हैं और इसे सनातन और वर्णाश्रम विचारधारा का हिस्सा मानती हैं।
ऑनर किलिंग और उसके सामाजिक प्रभाव
ऑनर किलिंग एक ऐसा मुद्दा है जो आज भी समाज में गंभीरता से चर्चा का विषय है। यह प्रथा आमतौर पर पारिवारिक सम्मान के नाम पर की जाती है, जब परिवार के सदस्य अपने सदस्यों के विवाह या व्यक्तिगत विकल्पों को अस्वीकार करते हैं। वन्नियारासु ने दावा किया कि ऐसी कहानियां इस प्रथा को समर्थन देती हैं।
- जाति आधारित भेदभाव को बढ़ावा देती हैं।
- संस्कृति और धार्मिकता के नाम पर हिंसा को वैध ठहराती हैं।
- समाज में अंतरजातीय विवाहों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करती हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
वन्नियारासु के बयान पर तमिलनाडु बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने डीएमके और उसके सहयोगियों पर सनातन धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया। अन्नामलाई ने कहा, 'रामायण का ऑनर किलिंग से क्या संबंध? क्या इंडी गठबंधन के लोग अपना विवेक खो चुके हैं?' उनके अनुसार, इस तरह के बयानों से हमारी सभ्यता को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।
सांस्कृतिक और धार्मिक ग्रंथों की प्रामाणिकता
विन्नियारासु ने जिस कहानी का जिक्र किया, वह वास्तव में रामायण के उत्तर कांड से संबंधित है, जिसे कुछ विद्वानों द्वारा बाद में जोड़ा गया हिस्सा माना जाता है। इस कांड की प्रामाणिकता पर विवाद है, और इसे जातिगत व्यवस्था को दर्शाने वाली रचना माना जा सकता है।
कुछ विद्वान इसे मूल रामायण का हिस्सा नहीं मानते। धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या समाज की सोच को प्रभावित करती है, और यही कारण है कि इस विषय पर बहस होना आवश्यक है।
सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता
इस विवाद ने भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है: क्या हमें अपने धार्मिक ग्रंथों की पुनर्व्याख्या करने की आवश्यकता है? क्या हमें उन तत्वों को चुनौती देनी चाहिए जो जाति या वर्ग के भेदभाव को बढ़ावा देते हैं?
सामाजिक परिवर्तन के लिए यह जरूरी है कि हम:
- सकारात्मक और समावेशी दृष्टिकोण को विकसित करें।
- जाति और धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं।
- शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से समाज को संवेदनशील बनाएं।
इस संदर्भ में, यह कहना उचित होगा कि वन्नियारासु का बयान न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि यह भारतीय समाज में गहन विचार विमर्श का विषय बन चुका है। हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या हम अपने सांस्कृतिक और धार्मिक ग्रंथों को एक नए तरीके से देख सकते हैं, ताकि समाज में समरसता और समानता को बढ़ावा दिया जा सके।
इस विषय पर और अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं: