उदयगिरी और हिमगिरी का डबल पावर बढ़ाएगा नेवी की ताकत

सूची
  1. समुद्री ताकत में वृद्धि का प्रतीक
  2. प्रोजेक्ट 17A: नीलगिरी-क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स का महत्व
  3. फ्रिगेट्स की निर्माण प्रक्रिया
  4. तकनीकी खूबियां और हथियारों की क्षमताएँ
  5. ऐतिहासिक नाम और विरासत
  6. स्वदेशी निर्माण का प्रतीक
  7. सामरिक महत्व और रणनीतिक उपस्थिति
  8. 2025: भारतीय नौसेना के लिए ऐतिहासिक वर्ष

भारत ने अपनी नौसेना की ताकत को और भी बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में, आईएनएस उदयगिरी (INS Udaygiri) और आईएनएस हिमगिरी (INS Himgiri) नामक दो अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट को एक साथ कमीशन किया गया। यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जिसमें दो अलग-अलग शिपयार्ड से निर्मित युद्धपोतों को एक साथ नौसेना में शामिल किया गया है। यह घटना भारत की समुद्री शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

समुद्री ताकत में वृद्धि का प्रतीक

आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी दोनों फ्रिगेट्स भारत की समुद्री ताकत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का कार्य करेंगी। इन युद्धपोतों के कमीशन के साथ, भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है। यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्वदेशी रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की मिसाल भी प्रस्तुत करता है।

प्रोजेक्ट 17A: नीलगिरी-क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स का महत्व

आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी प्रोजेक्ट 17A के तहत नीलगिरी-क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स का हिस्सा हैं। यह प्रोजेक्ट शिवालिक-क्लास (प्रोजेक्ट 17) का एक उन्नत संस्करण है, जिसमें नई तकनीक, बेहतर हथियार और उन्नत सेंसर सिस्टम शामिल हैं।

इन फ्रिगेट्स को विशेष रूप से गहरे समुद्र में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनके स्टेल्थ डिज़ाइन के कारण रडार पर इनकी पकड़ बनाना बहुत मुश्किल होता है, जिससे ये अत्याधुनिक युद्धपोत कहलाते हैं।

फ्रिगेट्स की निर्माण प्रक्रिया

आईएनएस उदयगिरी को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा निर्मित किया गया है, जबकि आईएनएस हिमगिरी का निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने किया है। इन दोनों जहाजों में लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल की सफलता को दर्शाता है।

तकनीकी खूबियां और हथियारों की क्षमताएँ

आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी का वजन लगभग 6700 टन है और उनकी लंबाई 149 मीटर है। इनमें आधुनिक कंबाइंड डीजल और गैस (CODOG) प्रणोदन प्रणाली है, जो इन युद्धपोतों को 30 नॉट की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम बनाती है। इनकी प्रमुख हथियार प्रणाली में शामिल हैं:

  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल: 450 किमी की रेंज वाली यह मिसाइल समुद्र और जमीन पर लक्ष्य भेदने में सक्षम है।
  • बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल: यह विमानों, ड्रोन और मिसाइलों जैसे हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है।
  • वरुणास्त्र टॉरपीडो: पनडुब्बी रोधी युद्ध में प्रभावी।
  • 76 एमएम नेवल गन और 30 एमएम व 12.7 एमएम क्लोज-इन वेपन सिस्टम: नजदीकी खतरों से निपटने के लिए।
  • कवच चाफ रॉकेट लॉन्चर और मारीच टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम: संभावित मिसाइलों और टॉरपीडो से बचाव के लिए।

ये युद्धपोत नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमता से लैस हैं, जिससे ये अन्य युद्धपोतों, विमानों और तटवर्ती कमांड सेंटरों के साथ रीयल-टाइम डेटा साझा कर सकते हैं। इसके अलावा, इन फ्रिगेट्स में हेलीकॉप्टर ले जाने की सुविधा भी है, जो लंबी दूरी तक पनडुब्बी रोधी और निगरानी मिशनों में सहायक होती है।

ऐतिहासिक नाम और विरासत

आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी के नाम भारतीय नौसेना की समृद्ध परंपरा को दर्शाते हैं। पहले के आईएनएस उदयगिरी (F35) और आईएनएस हिमगिरी (F34) ने देश की सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नए जहाजों का निर्माण इनकी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाएगा और आधुनिक तकनीक के साथ नौसेना को और सशक्त बनाएगा।

स्वदेशी निर्माण का प्रतीक

इन दोनों फ्रिगेट्स का निर्माण 200 से अधिक मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यमों (MSMEs) के सहयोग से किया गया है, जिससे लगभग 4000 प्रत्यक्ष और 10000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन हुआ है। आईएनएस उदयगिरी को केवल 37 महीनों में डिलीवर किया गया, जो मॉड्यूलर निर्माण तकनीक की सफलता को दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत के रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सामरिक महत्व और रणनीतिक उपस्थिति

आईएनएस उदयगिरी और हिमगिरी पूर्वी नौसेना कमान के तहत पूर्वी बेड़े में शामिल होंगी। ये जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करेंगे। इनकी क्षमताएँ पनडुब्बी रोधी, हवाई रक्षा, सतह पर हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे कई महत्वपूर्ण मिशनों को अंजाम देने में मदद करेंगी।

चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नौसैनिक गतिविधियों को देखते हुए, ये फ्रिगेट्स भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेंगे।

2025: भारतीय नौसेना के लिए ऐतिहासिक वर्ष

इस वर्ष 2025 भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण समय रहा है। इस वर्ष आईएनएस सूरत (डिस्ट्रॉयर), आईएनएस नीलगिरी (फ्रिगेट), आईएनएस वाग्शीर (पनडुब्बी) और अन्य जैसे कई स्वदेशी युद्धपोत कमीशन किए गए हैं। उदयगिरी और हिमगिरी के शामिल होने के साथ, इस साल कुल सात युद्धपोतों को नौसेना में शामिल किया गया है, जो भारत की समुद्री ताकत को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं।

इस संदर्भ में एक वीडियो जो इन नए युद्धपोतों की शक्ति को दर्शाता है, देखें:

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