दुनिया में एक ऐसा अनूठा बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां एक संपन्न देश ने चांदी को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। यह केवल सोने पर निर्भर रहने का एक नया दृष्टिकोण है, बल्कि यह दर्शाता है कि सऊदी अरब अपनी आर्थिक नीति को कैसे बदल रहा है।
सऊदी अरब ने अब तक अपने केंद्रीय बैंक के माध्यम से सोने में निवेश करने की परंपरा को तोड़ते हुए केवल चांदी खरीदने का निर्णय लिया है। यह कदम न केवल एक निवेश परिवर्तन है, बल्कि यह आर्थिक विविधीकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।
चांदी का नया महत्व
चांदी अब केवल एक आभूषण या सिक्का नहीं है; यह तकनीकी और औद्योगिक उपयोग में भी महत्वपूर्ण बन गई है। आज, यह सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मशीनों में उपयोग की जाती है। इसके कारण, चांदी की वैश्विक मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की मांग का लगभग 50% हिस्सा औद्योगिक उपयोग से आता है। सऊदी अरब जैसे देश, जो NEOM जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स और गीगा सोलर फार्म्स पर काम कर रहे हैं, चांदी को अपनी भविष्य की ऊर्जा क्रांति का एक महत्वपूर्ण तत्व मानते हैं। इसके साथ ही, अनुमान है कि दशक के अंत तक चांदी का 30% उत्पादन ग्रीन टेक्नोलॉजी में उपयोग होगा।
सऊदी अरब के निवेश का उद्देश्य
सऊदी अरब का यह बड़ा निर्णय उस समय आया है जब देश अपने तेल पर निर्भरता को कम करने और नई ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों में निवेश करने की कोशिश कर रहा है। यह कदम सऊदी विजन 2030 का हिस्सा है, जो देश की दीर्घकालिक आर्थिक रणनीति को दर्शाता है।
- तेल पर निर्भरता कम करना
- नई ऊर्जा स्रोतों में निवेश करना
- औद्योगिक विविधीकरण को बढ़ावा देना
- भू-राजनीतिक स्थिरता को मजबूत करना
चांदी में निवेश के फायदे
चांदी का बढ़ता उपयोग विभिन्न उद्योगों में इसे एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाता है। सऊदी अरब का केंद्रीय बैंक (SAMA) चांदी को अपने निवेश पोर्टफोलियो में शामिल कर रहा है, जो इसकी गंभीरता को दर्शाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी अस्थिरता के समय में भी उच्च रिटर्न प्रदान कर सकती है। उदाहरण के लिए, 2025 में चांदी ने 40% से अधिक का रिटर्न दिया है। इसकी तुलना सोने से की जाए, तो सोना एक सुरक्षित आश्रय के रूप में कार्य करता है, वहीं चांदी को एक विकास कारक माना जाता है।
चांदी की कीमतों पर प्रभाव
सऊदी अरब के इस नए दृष्टिकोण का असर निवेशकों और बाजार पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जब कोई केंद्रीय बैंक किसी धातु में निवेश करता है, तो अन्य देश और संस्थान उस पर ध्यान देते हैं। इससे बाजार में स्थिरता और कीमतों में वृद्धि होती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में चांदी की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। इसका एक कारण यह है कि चांदी को 'गरीब आदमी का सोना' नहीं माना जाता, बल्कि यह भविष्य के व्यवसाय में इस्तेमाल होने वाला एक महत्वपूर्ण संपत्ति है।
चांदी का उपयोग स्वास्थ्य क्षेत्र में
चांदी का उपयोग केवल औद्योगिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है; स्वास्थ्य क्षेत्र में भी इसकी उपयोगिता बढ़ रही है। चांदी को इसकी एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण चिकित्सा उपकरणों और उत्पादों में शामिल किया जा रहा है।
भविष्य की आर्थिक रणनीतियाँ
सऊदी अरब का यह कदम न केवल एक आर्थिक बदलाव है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक नया मानक स्थापित कर रहा है। सऊदी अरब जैसे देशों का चांदी में निवेश करने का निर्णय यह दर्शाता है कि आने वाले वर्षों में इस धातु की मांग में वृद्धि होगी।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेश पोर्टफोलियो में 8% सोना और 15% चांदी होना चाहिए। इससे न केवल स्थिरता मिलती है, बल्कि विकास के लिए भी अवसर प्राप्त होते हैं।
सऊदी अरब BRICS+ में शामिल होकर डॉलर पर निर्भरता कम कर रहा है। चांदी एक भौतिक संपत्ति है, जो सैंक्शंस से प्रभावित नहीं होती और वैश्विक रूप से स्वीकार्य है। इस कारण, चांदी को भविष्य में एक महत्वपूर्ण निवेश विकल्प माना जा रहा है।
चांदी के बढ़ते उपयोग और सऊदी अरब के इस रणनीतिक निर्णय के बारे में अधिक जानने के लिए आप इस वीडियो को देख सकते हैं: