इंडियन नेवी की 300 ब्रह्मोस मिसाइल दागने की क्षमता

सूची
  1. ब्रह्मोस मिसाइल का प्रभाव और भारत की सामरिक शक्ति
  2. भारतीय नौसेना के भविष्य की योजना
  3. नीलगिरि श्रेणी के युद्धपोतों की विशेषताएँ
  4. हिमगिरि और उदयगिरि की ब्रह्मोस शक्ति
  5. सम्बंधित ख़बरें

भारतीय नौसेना के पास एक नई सामरिक क्षमता आ रही है, जो दुश्मनों के लिए एक खतरनाक संकेत हो सकती है। आने वाले वर्षों में, भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की संख्या और उनकी मारक क्षमता के विस्तार के साथ, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि भारत अपनी समुद्री शक्ति को और अधिक मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। ब्रह्मोस मिसाइलों की नई श्रृंखला और आधुनिक युद्धपोतों की तैनाती से, भारत अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है।

ब्रह्मोस मिसाइल का प्रभाव और भारत की सामरिक शक्ति

पाकिस्तान के खिलाफ हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइलों की प्रभावशीलता ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। इस मिसाइल ने जिस लक्ष्य को हिट किया, वह पूरी तरह से नष्ट हो गया। ब्रह्मोस ने भारतीय सेनाओं को न केवल ताकतवर बनाया है, बल्कि यह एक रणनीतिक सुरक्षा कवच भी है। इसके बाद, भारतीय नौसेना को दो नए युद्धपोत, उदयगिरि और हिमगिरि, प्राप्त हुए हैं, जो ब्रह्मोस मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम हैं।

इन नए युद्धपोतों के साथ, भारतीय नौसेना के पास अब कुल 14 गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट हो गए हैं। प्रत्येक फ्रिगेट में 8 वर्टिकल लॉन्च ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल लॉन्चर हैं। तलवार क्लास युद्धपोत 2003 से भारतीय नौसेना का हिस्सा हैं, जिनमें से 4 को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया गया है।

भारतीय नौसेना के भविष्य की योजना

भविष्य में, भारतीय नौसेना के पास कुल 20 गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट होंगे, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के जहाज शामिल हैं:

  • 7 नीलगिरी क्लास
  • 3 शिवालिक क्लास
  • 10 तलवार क्लास

इसके अलावा, नौसेना के पास 13 डेस्ट्रॉयर्स हैं, जिनमें से हर एक नए डेस्ट्रॉयर्स में 16 ब्रह्मोस लॉन्चर लगे हैं। पुराने डेस्ट्रॉयर्स में 8 लॉन्चर हैं।

2030 तक, भारतीय नौसेना एक साथ 300 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइलें लॉन्च करने की क्षमता हासिल कर लेगी। यह समुद्री शक्ति और रक्षा क्षमता को मजबूती प्रदान करेगा।

नीलगिरि श्रेणी के युद्धपोतों की विशेषताएँ

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, भारतीय नौसेना को लगातार स्वदेशी युद्धपोत सौंपे जा रहे हैं। प्रोजेक्ट 17A के तहत, 7 नीलगिरी श्रेणी के गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। इन युद्धपोतों का निर्माण मंझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

इन सभी जहाजों को 2019 और 2023 के बीच लॉन्च किया जाएगा। इन युद्धपोतों के विभिन्न परीक्षणों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत में जबरदस्त वृद्धि होने वाली है।

हिमगिरि और उदयगिरि की ब्रह्मोस शक्ति

हिमगिरि और उदयगिरि की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वे एंटी-सर्फेस और एंटी-शिप वॉरफेयर के लिए ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं। इसके अलावा, ये युद्धपोत एयर डिफेंस तोपों और बराक-8 लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल से भी सुसज्जित हैं।

इन युद्धपोतों में पनडुब्बी-रोधी युद्ध के लिए वरुणास्त्र और पनडुब्बी-रोधी रॉकेट लांचर भी शामिल हैं। यह रडार, सोनार प्रणाली, और मल्टी फंक्शन डिजिटल रडारों से लैस हैं, जो लंबी दूरी से हमलों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने की क्षमता रखते हैं।

प्रोजेक्ट 17A के तहत बन रहे सभी 7 युद्धपोतों में से 75 प्रतिशत उपकरण स्वदेशी कंपनियों से लिए गए हैं, और इनका डिजाइन भी स्वदेशी है। यह युद्धपोत 6,700 टन का है और 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है।

इन युद्धपोतों में 2 हेलीकॉप्टर भी उतर सकते हैं, और इनके लिए एक हैंगर भी है, जो इनकी सामरिक क्षमताओं को और बढ़ाता है।

सम्बंधित ख़बरें

भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत को और अधिक बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण वीडियो है जो इस विषय पर चर्चा करता है:

इस प्रकार, भारत की समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों और नए युद्धपोतों की शुरुआत एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल भारत की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि एक सशक्त नौसेना के रूप में उसकी पहचान को भी मजबूत करेगा।

Go up