पोलिटिकल सीन में चल रही हलचलें हमेशा ही लोगों का ध्यान खींचती हैं, खासकर जब बात शीर्ष नेताओं के उत्थान की हो। वर्तमान में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की है, जो भविष्य की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती है।
तमिलनाडु की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में राधाकृष्णन की उम्मीदवारी
सीपी राधाकृष्णन को एनडीए द्वारा उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने को तमिलनाडु की राजनीति से गहराई से जोड़ा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में अपनी स्थिति को मजबूती देने के प्रयास में है। यह रणनीति सत्तारूढ़ द्रमुक (डीएमके) के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, जो यह तय कर रहा है कि उसे अपने राज्य के नेता का समर्थन करना चाहिए या फिर विपक्षी गठबंधन के साथ खड़ा होना चाहिए।
इस संदर्भ में, डीएमके के 32 सांसदों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि पार्टी अपने नेता का समर्थन करती है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। वहीं, यदि डीएमके विपक्षी गठबंधन के साथ जाती है, तो यह उसकी राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकती है।
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक करियर
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 1957 में तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ। उन्होंने 1974 में भारतीय जनसंघ से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा, वे तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष, कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष, और झारखंड एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रह चुके हैं।
- कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद
- तमिलनाडु भाजपा के पूर्व अध्यक्ष
- कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष
- झारखंड और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल
उनका राजनीतिक जीवन संगठन निर्माण, विधायी कार्यों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से संबंधित रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है और कई सामाजिक-आर्थिक अभियानों का नेतृत्व किया है।
अमित शाह की राधाकृष्णन के प्रति टिप्पणी
अमित शाह ने सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात के बाद ट्वीट किया कि राधाकृष्णन एक ऐसे नेता हैं जिनके पास संगठन और प्रशासन का व्यापक अनुभव है। उन्होंने कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि अपने गहन अनुभव के बल पर वह भारत की राष्ट्रीय विमर्श को नई दिशा देंगे।"
यह मुलाकात एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की औपचारिक घोषणा के बाद हुई। 17 अगस्त को भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद राधाकृष्णन के नाम की घोषणा की गई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल थे।
उपराष्ट्रपति पद के लिए आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ
उपराष्ट्रपति बनने के लिए कई आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ होती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- राजनीतिक अनुभव: एक उपराष्ट्रपति को राजनीतिक और प्रशासकीय अनुभव होना आवश्यक है।
- सामाजिक समर्पण: सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता और सक्रियता आवश्यक है।
- संबिधानिक ज्ञान: भारतीय संविधान की गहरी समझ होना ज़रूरी है।
- संबंध बनाने की क्षमता: विभिन्न दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
सीपी राधाकृष्णन की राजनीतिक पृष्ठभूमि और अनुभव उन्हें इन चुनौतियों का सामना करने में सहायता कर सकते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव की पृष्ठभूमि
यह उपचुनाव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण हो रहा है। धनखड़, जो 74 वर्ष के हैं, ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था और केवल दो साल का कार्यकाल पूरा कर पाए।
भविष्य की राजनीतिक संभावनाएँ
सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी न केवल भाजपा के लिए, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण टर्निंग पॉइंट हो सकती है। यदि वे उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो यह तमिलनाडु की राजनीति में भाजपा की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि डीएमके और अन्य विपक्षी दल इस स्थिति का कैसे सामना करते हैं। क्या वे अपने राज्य के नेता का समर्थन करेंगे, या फिर भाजपा के खिलाफ एकजुट होंगे? यह सवाल राजनीति में न केवल तमिलनाडु, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनेगा।
अधिक जानकारी के लिए, आप इस वीडियो को देख सकते हैं जिसमें सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी के बारे में चर्चा की गई है: