अमित शाह ने विपक्ष को घेरा, पीएम-सीएम हटाने वाले बिल पर चर्चा

सूची
  1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक का महत्व
  2. अमित शाह का बयान और विपक्ष की प्रतिक्रिया
  3. क्या जेल से वास्तव में सरकार चलाई जा सकती है?
  4. प्रधानमंत्री का समर्थन और मोदी सरकार की स्थिति
  5. विपक्ष की असहमति और उनके तर्क
  6. दोहरे मानदंड और राजनीतिक नैतिकता
  7. भविष्य की संभावना और विधेयक का पारित होना

हाल ही में संसद में पेश किए गए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक ने देश के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि इस विधेयक का विरोध करके विपक्ष लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है। शाह ने स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री जेल से सरकार चला सकता है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष इस बिल का विरोध करके यह संदेश दे रहा है कि वे जेल से सरकार चलाने का विकल्प चाहते हैं। यह बयान न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर भी सवाल उठाता है। शाह के इस आरोप ने राजनीतिक दलों के बीच एक नई बहस को जन्म दिया है।

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक का महत्व

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक मूल रूप से यह सुनिश्चित करता है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आरोपों में गिरफ्तार होता है और 30 दिन के भीतर उसे जमानत नहीं मिलती, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा। इस प्रावधान का उद्देश्य लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखना है।

अमित शाह ने इस विधेयक की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जब तक किसी व्यक्ति को जमानत नहीं मिलती, तब तक उसे अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह विचार लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, क्योंकि:

  • यह सुनिश्चित करता है कि कानून सभी के लिए समान है।
  • इससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
  • यह सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाएगा।

अमित शाह का बयान और विपक्ष की प्रतिक्रिया

अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा, "आज भी ये कोशिश कर रहे हैं कि अगर कभी जेल गए तो जेल से ही आसानी से सरकार बना लेंगे। जेल को ही CM हाउस, PM हाउस बना देंगे।" उनकी इस टिप्पणी ने विपक्ष को आग बबूला कर दिया है। कई विपक्षी नेताओं ने शाह के इस बयान को तंज करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र का अपमान है।

क्या जेल से वास्तव में सरकार चलाई जा सकती है?

अमित शाह ने यह सवाल उठाया कि क्या जेल से कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री प्रभावी रूप से शासन चला सकता है। उनका मानना है कि यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। यहां कुछ बिंदु हैं जो इस प्रश्न को स्पष्ट करते हैं:

  • जेल में रहने वाले व्यक्ति के पास न तो स्वतंत्रता होती है, न ही वह अपने कर्तव्यों का पालन कर सकता है।
  • सरकार चलाने के लिए आवश्यक निर्णय लेने की क्षमता जेल में नहीं हो सकती।
  • यह स्थानीय प्रशासन और आम जनता के लिए भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

प्रधानमंत्री का समर्थन और मोदी सरकार की स्थिति

अमित शाह ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधेयक में प्रधानमंत्री के पद को शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने याद दिलाया कि पिछली सरकारों ने जब भी ऐसे मामलों का सामना किया, तब उन्होंने कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किया।

शाह ने कहा, "इंदिरा गांधी ने 39वें संशोधन में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर को न्यायिक समीक्षा से बाहर रखा था, लेकिन मोदी सरकार इसके उलट कदम उठा रही है।" यह बात राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है।

विपक्ष की असहमति और उनके तर्क

विपक्ष ने विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई है और इसे अलोकतांत्रिक करार दिया है। अमित शाह ने विपक्ष के इस बर्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "क्या संसद केवल शोरगुल के लिए है या बहस के लिए?" उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या यह लोकतंत्र का अपमान नहीं है कि किसी बिल को पेश ही न होने दिया जाए।

कांग्रेस पर हमला करते हुए, शाह ने याद दिलाया कि जब मनमोहन सिंह सरकार ने लालू यादव को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था, तब राहुल गांधी ने उसे सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था। इस पर उन्होंने सवाल किया, "अगर उस दिन नैतिकता थी, तो क्या आज नहीं है?"

दोहरे मानदंड और राजनीतिक नैतिकता

AAP नेता सत्येंद्र जैन और कांग्रेस द्वारा RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव को समर्थन देने का हवाला देते हुए शाह ने विपक्ष पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार के अध्यादेश को बकवास बताया और फाड़ दिया, लेकिन आज वही कांग्रेस, सरकार बनाने के लिए लालू यादव को गले लगा रही है।"

भविष्य की संभावना और विधेयक का पारित होना

गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के 'ब्लैक बिल' कहकर विरोध करने पर कहा कि वे और बीजेपी पूरी तरह इस विचार को खारिज करते हैं कि देश को किसी एक व्यक्ति के बिना चलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, "एक सदस्य हटेगा तो पार्टी के अन्य सदस्य सरकार चलाएंगे।" इस विधेयक के पारित होने की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि कई लोग नैतिक आधार पर इसे समर्थन देंगे।

इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, यह विधेयक न केवल वर्तमान सरकार की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह भविष्य में राजनीतिक नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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