क्रिकेट में अंपायर कॉल नियम का मुद्दा एक गर्मागर्म चर्चा का विषय बन चुका है। यह नियम, जो निर्णय समीक्षा प्रणाली (DRS) का एक हिस्सा है, कई दिग्गज क्रिकेटरों के बीच विवाद का कारण बन रहा है। इस लेख में हम इस नियम के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से नज़र डालेंगे और जानेंगे कि क्यों इसे बदलने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
अंपायर कॉल के नियम क्या हैं?
अंपायर कॉल नियम का उद्देश्य अंपायर के निर्णयों को एक निश्चित सीमा तक मान्यता देना है। जब DRS का उपयोग किया जाता है, तो यह तीन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है:
- गेंद का गिरना (Pitching): गेंद कहां गिरती है, यह सबसे पहला निर्णय है। यदि गेंद बल्लेबाज के पैड पर सही जगह गिरती है तो आगे की प्रक्रिया शुरू होती है।
- इम्पैक्ट (Impact): गेंद बल्लेबाज के पैड पर कहां लगती है, यह निर्णय भी महत्वपूर्ण है। यदि इम्पैक्ट क्षेत्र में है तो यह LBW के लिए प्रासंगिक है।
- विकेट से टकराना (Wickets): अगर गेंद विकेट पर लगने वाली है, तो यह निर्णय महत्वपूर्ण हो जाता है।
इन पहेलुओं के अलावा, यदि कोई निर्णय 50-50 होता है, तो ऑनफील्ड अंपायर का निर्णय अंतिम माना जाता है। इस स्थिति में अंपायर कॉल की स्थिति उत्पन्न होती है, जो कई बार विवाद का कारण बनती है।
क्रिकेट में अंपायर की कॉल क्यों होती है?
क्रिकेट में अंपायर की कॉल का मुख्य उद्देश्य खेल को तेज़ी से चलाने और अंपायरों के निर्णयों को मान्यता देना है। हालांकि, यह नियम कई बार विवादित साबित होता है। जब गेंदबाज LBW की अपील करता है, और तकनीकी समीक्षा में यह देखा जाता है कि गेंद विकेट पर टकराने की स्थिति में है, लेकिन अंपायर ने पहले से ही 'नॉट आउट' का निर्णय दिया है, तो स्थिति अंपायर कॉल के तहत आती है।
इसका मतलब यह है कि भले ही तकनीक यह दिखा रही हो कि गेंद विकेट को टकरा रही है, लेकिन खेल के नियमों के अनुसार ऑनफील्ड अंपायर का निर्णय प्राथमिक होता है। यह तकनीक और अंपायर के निर्णय के बीच एक बारीक रेखा खींचती है।
अंपायर कॉल का क्या मतलब है?
अंपायर कॉल का मतलब है कि अगर DRS समीक्षा के दौरान अंपायर का निर्णय सही साबित होता है, तो उस निर्णय को बरकरार रखा जाएगा। यह नियम मुख्य रूप से अंपायर के निर्णय को प्राथमिकता देता है, भले ही तकनीकी आंकड़े कुछ और दिखा रहे हों।
अंपायर कॉल का तात्पर्य है कि यदि गेंद विकेट को टकराने वाली है, लेकिन अंपायर ने 'नॉट आउट' का निर्णय दिया है, तो उस निर्णय को बदला नहीं जाएगा। यह स्थिति कई बार विवादों का कारण बनती है, और खेल प्रेमियों के बीच बहस का विषय बन जाती है।
प्रसिद्ध क्रिकेटरों के विचार
कई प्रमुख क्रिकेटरों ने अंपायर कॉल नियम पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। सचिन तेंदुलकर, शेन वॉर्न और कुमार संगकारा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने इस नियम के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है।
सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि जब खिलाड़ी अंपायर के निर्णय से असंतुष्ट होते हैं और DRS का सहारा लेते हैं, तो उसी निर्णय को वापस लेना सही नहीं है। उनका कहना है कि अंपायर भी गलतियाँ कर सकते हैं, और तकनीक को हमेशा सही माना जाना चाहिए।
“मैं DRS के नियम को बदलना चाहूंगा। जब खिलाड़ी अंपायर के फैसले से नाखुश होकर DRS लेते हैं, तो फिर उसी फैसले पर लौटने का विकल्प नहीं होना चाहिए।” — सचिन तेंदुलकर
शेन वॉर्न ने भी इस पर अपनी राय दी, कहकर कि यदि कप्तान किसी फैसले की समीक्षा मांगता है, तो अंपायर का निर्णय मान्य नहीं रहना चाहिए। उनके अनुसार, एक ही गेंद को "आउट" और "नॉट आउट" दोनों नहीं कहा जा सकता।
कुमार संगकारा ने भी इसे समय की आवश्यकता बताया है कि ICC को अंपायर कॉल को खत्म करना चाहिए। उनका मानना है कि यदि गेंद विकेट पर लग रही है, तो उसे आउट करार दिया जाना चाहिए।
क्या अंपायर कॉल को हटाना चाहिए?
इस मुद्दे पर बहस जारी है कि क्या अंपायर कॉल को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए। कुछ खेल विशेषज्ञों का मानना है कि इसे खत्म करने से खेल में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- अगर गेंद विकेट को टकरा रही है, तो उसे आउट माना जाना चाहिए।
- अंपायर का निर्णय गलत होने पर तकनीक पर भरोसा किया जाना चाहिए।
- खेल में विवादों को कम करने की आवश्यकता है।
हालांकि, इस पर विचार करने के लिए कई पहलुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है। अंपायर कॉल को हटाने का मतलब है कि खेल में अंपायर के निर्णयों की कोई महत्ता नहीं रह जाएगी, जो खेल की पारंपरिकता को प्रभावित कर सकता है।
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इस विषय पर कई चर्चाएँ और समाचार रिपोर्ट्स आई हैं। हाल ही में एक वीडियो में इस नियम पर चर्चा की गई है, जिसमें विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए हैं।
इस वीडियो में विशेषज्ञों ने अंपायर कॉल के प्रभावों और इसकी संभावित सुधारों पर चर्चा की है। यह स्पष्ट है कि अंपायर कॉल नियम को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, और इसे लेकर नई दिशा में विचार विमर्श जरूरी है।